स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह पांचजन्य सुशासन संवाद में हुए शामिल

स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के ऊपर प्रदेश के भविष्य निर्माण की जिम्मेदारी है। इस महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह आज भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में लोक माता अहिल्या बाई होल्कर त्रि-शताब्दी जयंती वर्ष समारोह में हुए "पांचजन्य सुशासन संवाद मध्यप्रदेश" को संबोधित कर रहे थे।

स्कूल शिक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में नींव मजबूत हो सके इसलिए राज्य सरकार ने साढ़े चार हजार सरकारी स्कूलों में नर्सरी शुरू करने का फैसला किया है। यह स्कूल डिजिटल होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अधोसंरचना के साथ-साथ शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो जिससे जनता का विश्वास सरकारी स्कूलों के प्रति और मजबूत हो। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसे पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो इसके लिये जन्माष्टमी पर्व भी स्कूलों और महाविद्यालयों में मनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश समाज को ऊर्जा और प्रेरणा दे रहे हैं। उनके द्वारा निभाई गई मित्रता की मिसाल आज भी पूरी श्रद्धा के साथ याद की जाती है। स्कूल शिक्षा मंत्री श्री सिंह ने कहा‍कि जिन शिक्षण संस्थाओं में भारतीय संस्कृति के खिलाफ गतिविधियाँ संचालित होंगी, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।

अन्य भाषाओं के माध्यम से भी दिलाये जायेंगे रोजगार

संवाद के इस कार्यक्रम में मंत्री सिंह ने कहा कि आज यह महसूस किया है कि अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा भी रोजगार देने में ज्यादा सक्षम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग ने कक्षा 9 से विद्यार्थियों को जापानी और जर्मनी भाषा भी सिखाने का कार्यक्रम तैयार किया है। कौशल विकास की चर्चा करते हुए मंत्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में कौशल विकास का अलग से विभाग बनाया गया है। प्रदेश में उनकी सोच के अनुरूप बच्चों में कौशल विकास की तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कक्षा 10 के बाद बच्चों को काउंसलिंग देकर उन्हें सही दिशा में आगे की पढ़ाई करने के बारे में जानकारी दी जा रही है।

स्कूल शिक्षा में कृषि को महत्व

स्कूल शिक्षा मंत्री ने संवाद के कार्यक्रम में कहा कि जिन स्कूलों के पास 3 एकड़ से अधिक भूमि है, वहाँ बच्चों को कृषि से जुड़ी गतिविधियों की शिक्षा दी जायेगी। इस शिक्षा के माध्यम से बच्चे पूरे विश्वास के साथ कृषि व्यवसाय को चुन सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय से सभी व्यवसाय में कृषि को उत्तम माना गया है। बच्चों को मार्डन फार्मिंग और नये शोधों के बारे में बताया जायेगा।

संवाद कार्यक्रम में पत्रकार अनुराग पुनेठा ने मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा व्यवस्था के संबंध में सवाल पूछे, जिनका जवाब स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह द्वारा दिया गया।

 

 मुकेश मोदी/बीके इंजी नरेश बाथम

न्यूज़ सोर्स : mpinfo/mp1news Bhopal