शुक्रवार 24 फरवरी, सांवेर मैं श्री राम जानकी विवाह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। श्री राम जानकी के साथ श्री हनुमान जी भी आकर्षण का केंद्र रहे। महाराज प्रेमभूषण जी ने आनंद की व्याख्या करते हुए बताया कि आनंद परम ब्रह्म स्वरूप है परमात्मा है।                                                                                                                                  आनंद ब्रह्म स्वरूप है लेकिन यह सब को नहीं होता संत गुरु प्रेमभूषण महाराज जी ने बड़े ही सुंदर ढंग से व्याख्या करते हुए कहा कि हम आनंद कैसे उठा सकते हैं कैसे ले सकते हैं कैसे प्राप्त कर सकते हैं- हम जब किसी भी प्रकार का उत्सव मनाते हैं तब उसमें उत्साह होना चाहिए बिना उत्साह के उत्सव मनाना नहीं चाहिए, उत्सव इतना अच्छा मनाना चाहिए कि उसमें आनंद की अनुभूति हो आनंद अपने आप में अलग ही है उसकी कोई सीमा नहीं, सबसे महत्वपूर्ण बाद में कहूंगा की सबको आनंद आता नहीं कारण आनंद का मतलब यही होता है कि जब आप स्वयं से बाहर निकलते और सब कुछ भूल कर आनंद में डूब जाते हैं दरअसल आनंद अपने आप में ब्रह्म स्वरूप है परमात्मा है। बहुत कम लोग ही जान पाते हैं या आनंद की अनुभूति कर पाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता आनंद आया कब हम कब थे आनंद अवस्था में, मंत्री तुलसी सिलावट के मार्गदर्शन में सांवेर में आयोजित रामकथा में यह बात श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने समस्त श्रद्धालुओं से कही। उन्होंने इस आनंद की अनुभूति श्री राम जानकी विवाह में चल रहे प्रसंग कथा में बताई।                                                                                                                                                                                                         सांवेर में चल रही रामकथा मैं श्री राम जानकी विवाह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। महाराज प्रेमभूषण जी ने बताया कि किस तरह मिथिला से दूतो को भेजकर अयोध्या में विवाह का न्योता दिया जाने के बाद अयोध्या से चक्रवर्ती राजा श्री दशरथ मिथिला बरात लेकर पहुंचे।महाराज प्रेमभूषण जी ने बारात के स्वागत का वर्णन बड़े ही सुंदर तरीके से श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत किया। महाराज जी बोले बारात आई और दोनों पक्ष एक दूसरे से आनंदपुर्वक मिले, राजा दशरथ प्रभु श्री राम और लक्ष्मण से मिलकर बेहद प्रफुल्लित हुए और उनके आनंद आश्रु बह निकले।विवाह का मुहूर्त भगवान ब्रह्मा ने निश्चित कर पत्रिका देकर स्वयं नारद जी को पहुंचाया।                                                                                                                                                                                                                          रामकथा स्थल पर जब श्री राम जानकी सखियों सहित और हनुमान जी श्रृंगार करके पहुंचे तो श्रद्धालुओं ने जय घोष के नारे लगाना प्रारंभ कर दिए। श्री राम जानकी दोनों को मंच पर लाया गया स्वयं हनुमान जी भी साथ में थे सुंदर श्रृंगार किए हुए आकर्षक साज-सज्जा में जब श्रद्धालुओं ने देखा तो उनके ऊपर पुष्प वर्षा के साथ स्वागत करने लगे। श्री राम जानकी के साथ हनुमान जी सभी श्रद्धालुओं की आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। श्री राम जानकी का वरमाला कार्यक्रम मंच पर ही संपन्न हुआ। महाराज प्रेमभूषण जी ने कहा कि प्रभु श्री राम जब मंडप में पधारे अपने आप में वह समय बहुत ही आनंददायक था। आनंददायक क्षण को देखने के लिए भगवान शिव से लेकर सभी देवी देवता आतुर थे। किस तरह राजा जनक प्रभु श्रीराम के चरण कमलों की पूजा कर रहे हैं और अपने आप को धन्य मान रहे हैं यह अद्भुत दृश्य देखते ही बनता था। इस दौरान मंच पर सखियों के द्वारा सुंदर नृत्य की प्रस्तुति भी की गई। कथा में आगे महाराज प्रेमभूषण जी ने बताया कि राजा दशरथ ने जब राजा जनक से पूछा कि महाराज आपकी और कितनी कन्याएं हैं, और इसी के साथ भाई भरत भाई शत्रुघ्न और भाई लक्ष्मण जी का भी विवाह तय हुआ और मंडप में ही संपन्न हुआ। श्रीराम जानकी विवाह में पधारे सम्मिलित हुए बारातियों का स्वागत बड़ी भव्य तरीके से किया गया उन्हें एक से एक स्वादिष्ट पकवान परोसे गए महाराज जी ने बताया कि बारात की आवभगत का यह सिलसिला मिथिला में कई दिनों तक यह मंगल उत्सव चलता रहा। बारातियों को कई प्रकार की अमूल्य भेट दी गई बारातियों का इतना स्वागत हुआ कि कोई अयोध्या वापस ही नहीं जाना चाह रहा था। श्री प्रेमभूषण महाराज जी ने प्रसंगवश कहा आपके घर कोई भी आए मेहमान हो श्रद्धालु हो अपना हो पराया हो आपको उसका सम्मान अवश्य करना चाहिए क्योंकि पैसा ऐश्वर्य अपनी जगह है व्यक्ति विशेष सिर्फ अपना सम्मान ही याद रखता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                   श्री प्रेम भूषण महाराज जी बोले घर आए मेहमान का इतना स्वागत करिए इतना सत्कार करिए की उसे हमेशा स्मरण रहे इससे आपका भी ऐश्वर्य मान सम्मान बढ़ता है अतः सम्मान देने में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। श्री प्रेम भूषण महाराज जी कहते हैं विश्वामित्र जी के कहने पर बारात वापस अयोध्या पहुंची अयोध्या में भी चारों राजकुमारों और बहूओ का अयोध्या वासियों ने खूब स्वागत किया। अयोध्या में स्वागत का यह दौर आठ दिनों तक चलता रहा, विवाह संपन्न होने के बाद विश्वामित्र अपने आश्रम लौट जाते हैं। सांवेर में रामकथा में श्री राम जानकी विवाह प्रसंग को सुनने और देखने के लिए आसपास के गांव के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए इसके अलावा साधु संत और इंदौर से आए विशिष्ट अतिथि गण ने भी इस विवाह प्रसंग का आनंद लिया। मंत्री तुलसी सिलावट की मार्गदर्शन में चल रही श्रीराम जानकी विवाह प्रसंग की प्रस्तुति महाराज श्री प्रेमभूषण जी ने बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत की कथा में मंत्री तुलसी सिलावट सहित महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल खंडवा और सांसद महेंद्र सोलंकी देवास विशेष रुप से उपस्थित थे।            अरुण राठौर