बुरहानपुर ।    विधानसभा चुनाव के लिए अब तक दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। पहले ही भाजपा और कांग्रेस टिकट को लेकर मचे घमासान से उबरने की तरकीब ढूंढ रही हैं। ऐसे में सरकारी सेवकों के इस्तीफा देकर नेपानगर क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने और टिकट मांगने से और विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। सोमवार को नेपानगर के बाकड़ी गांव निवासी भीलर सिंह जमरा ने सैकड़ों ग्रामीणों के साथ नेपानगर पहुंच कर शक्ति प्रदर्शन किया। उसने खुद को ग्रामीणों की ओर से खड़ा किया गया प्रत्याशी बताते हुए कांग्रेस से टिकट देने की मांग की है। भीलर सिंह पुलिस विभाग में उप निरीक्षक था और जबलपुर में पदस्थ था। दो दिन पहले ही उसने सेवा से त्याग पत्र दिया है। भीलर सिंह और उसके साथ आए ग्रामीणों ने दावा किया कि साथ आई भीड़ में क्षेत्र के सौ से ज्यादा गांवों के पटेल और सरपंच शामिल थे। आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों ने एक स्वर में भीलर को जिताने का संकल्प लिया है। फिर चाहे निर्दलीय ही चुनाव मैदान में क्यों न उतरना पड़े।

पूर्व और वर्तमान विधायकों पर लगाए उपेक्षा के आरोप

भीलर सिंह और ग्रामीणों ने वर्तमान और पूर्व विधायकों पर आरोप लगाया कि उन्होंने क्षेत्र के आदिवासी समाज की हमेशा उपेक्षा की है। विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी चरम पर है, लेकिन उन्होंने रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं कराए। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी सुदूर अंचल के आदिवासी तरस रहे हैं। यही वजह है कि इस बार आदिवासी अपने बीच से शिक्षित और समाज के लिए समर्पित युवा को विधानसभा पहुंचाना चाहते हैं। ग्रामीणों ने भरोसा जताया है कि उनका प्रत्याशी आदिवासियों को उनका हक दिलाएगा।

वनभूमि पर कब्जे का केंद्र रहा है बाकड़ी गांव

कुछ समय पहले तक नेपानगर क्षेत्र वन भूमि पर अवैध कब्जे और जंगलों की अवैध कटाई के लिए कुख्यात था। इसका केंद्र बिंदु बाकड़ी गांव ही रहा है। इसी गांव में पुलिस और वन अमले पर अतिक्रमणकारियों ने हमले भी किए थे। जिसके चलते ग्रामीणों को पुलिस की सख्त कार्रवाई का शिकार भी होना पड़ा था। जिस समय बाकड़ी गांव में घुसने से पुलिस कर्मियों को भी डर लगता था, तब पुलिस अधीक्षक ने भीलर सिंह को बुला कर मध्यस्थता कराई थी। अब वही भीलर सिंह न केवल बाकड़ी बल्कि आसपास के सौ से ज्यादा गांव के लोगों के लिए तारणहार बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

दोनों दलों को होगा नुकसान

राजनीति के जानकारों का दावा है कि यदि भीलर सिंह स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरता है तो यह भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। विधानसभा में अधिकांश आबादी आदिवासियों की है। ऐसे में यदि नजर आ रही तस्वीर के अनुसार मतदान हुआ तो परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।