शिव और शंकर में वही अंतर है जो एक बाप और बेटे में होता है। परमपिता शिव परमात्मा की रचना है- ब्रह्मा, विष्णु और शंकर | परमात्मा ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना, शंकर द्वारा विनाश और विष्णु द्वारा पालना कराते हैं।

परमपिता शिवजी के शंकरजी बेटे हैं। इस सृष्टि के विनाश कराने के निमित्त परमात्मा ने ही शंकरजी को रचा। यहीं नहीं ब्रह्मा, विष्णु, शंकरजी के रचनाकार, सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च सत्ता, परमेश्वर शिव ही है। वह ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना, शंकर द्वारा विनाश और विष्णु द्वारा पालना कराते हैं। शिवलिंग परमात्मा शिव की प्रतिमा है। परमात्मा निराकार ज्योति स्वरूप है। शिव का अर्थ है कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है चिंह अर्थात् कल्याणकारी परमात्मा को साकार में पूजने के लिए शिवलिंग का निर्माण किया गया।शिवलिंग को काला इसलिए दिखाया गया क्योंकि अज्ञानता रूपी रात्रि में परमात्मा अवतरित होकर अज्ञान अंधकार मिटाते हैं।                                                                                                                              परमपिता परमात्मा शिव 33 करोड़ देवी-देवताओं के भी महादेव एवं समस्त मनुष्यात्माओं के परमपिता है। सारी सृष्टि में परमात्मा को छोड़कर सभी देवी-देवताओं का जन्म होता है। जबकि परमात्मा का दिव्य अवतरण होता है। वे अजन्मा अभोक्ता अकर्ता और ब्रह्मा लोक के निवासी हैं।                                                                  शंकरजी का आकारी शरीर है। शंकरजी परमात्मा शिव की रचना है। यही वजह है कि शंकर हमेशा शिवलिंग के सामने तपस्या करते हुए दिखाए जाते हैं। ध्यान मग्न शंकरजी की भाव-भंगिमाएं एक तपस्वी के अलंकारी रूप है। शंकर और शिव को एक समझ लेने के कारण हम परमात्म प्राप्तियों से वंचित रहे। अब पुनःअपना भाग्य बनाने का मौका है।                                                                                                                                                                   शिवलिंग पर तीन रेखाएं ही क्यों? शिवलिंग पर तीन रेखाएं परमात्मा द्वारा रचे गए 3 देवताओंकी ही प्रतीक है। परमात्मा शिव तीनों लोकों के स्वामी है। तीन पत्तों का बेलपत्र और तीन रेखाए परमात्मा के ब्रह्मा विष्णु शंकर के भी रचयिता होने का प्रतीक है। वे प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सतयुगी देवी सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा कलयुगी आसुरी सृष्टि का विनाश कराते हैं। इस सृष्टि के सारे संचालन में इन तीनों देवताओं का ही विशेष अहम योगदान है।