15नवम्बर राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस (भगवान बिरसा मुंडा जयंती) पर विशेष

जनजातीय वर्ग एवं इनकी समृद्ध संस्कृति के समग्र विकास एवं संवर्धन के लिये राज्य सरकार बेहद संवेदनशील है। वित्त वर्ष 2024-25 में मध्यप्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रूपये बजट पारित कर इस वर्ग के प्रति अपनी प्राथमिकाता व्यक्त की है। जनजातियों के विकास के लिये पारित यह बजट वर्ष 2023-24 से 3 हजार 856 करोड़ रूपये (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जनजातीय वर्ग के कल्याण और इन्हें समर्थ बनाने की संवेदनशील पहल पर ही इस वर्ष जनजातीय कार्य विभाग को पहले से अधिक धनराशि दी गई है। जनजातीय बंधुओं और इनकी पुरा संस्कृति के संरक्षण और समयानुकूल विकास के लिये सरकार द्वारा अनेक नवाचारी कदम उठाये जा रहे हैं। सरकार के प्रयासों से ही जनजातीय वर्ग के विद्यार्थी, युवा, खिलाड़ी और कलाकार अब विकास की एक नई राह पर चल पड़े हैं। जनजातियों को पेसा एक्ट के जरिये अधिकार सम्पन्न बनाकर सरकार ने एक अभिनव पहल की है। इसका सकारात्मक प्रभाव अब दृष्टिगोचर हो रहा है।

भगवान बिरसा मुण्डा स्व-रोजगार योजना

जनजातीय कार्य विभाग के अधीन मप्र आदिवासी वित्त एवं विकास निगम द्वारा चलाई जा रही भगवान बिरसा मुण्डा स्व-रोजगार योजना में जनजातीय वर्ग के युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़कर उनके समग्र कल्याण के तेज प्रयास किये जा रहे हैं। इस योजना में 1000 हितग्राही वार्षिक लक्ष्य के विरूद्ध 31 मार्च 2024 तक कुल 6 हजार 463 आवेदन मिले। इनमें से बैंकों द्वारा 1094 आवेदन मंजूर कर 904 जनजातीय बंधुओं को 33 करोड़ 70 लाख 47 हजार 620 रूपये वित्तीय सहायता दी गई। योजना में जनजातीय युवाओं को विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक लाख से 50 लाख रूपये तथा सेवा व व्यावसायिक गतिविधियों के लिए एक लाख से 25 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके लिए परिवार की वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। योजना में हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित, शेष ऋण पर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम 7 वर्षों तक मोरेटोरियम अवधि सहित निगम द्वारा वहन की जाती है। योजना में इच्छुक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

पेसा अधिनियम से लाभान्वित हो रही एक करोड़ जनजातीय आबादी

मध्यप्रदेश में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम-2022 या कहें पेसा एक्ट लागू है। यह नियम प्रदेश में निवासरत जनजातीय समुदायों के प्राकृतिक रहन-सहन को केन्द्र में रखकर उनकी स्व-शासन की भावना को मान्यता प्रदान करते हैं। पेसा एक्ट से प्रदेश की करीब एक करोड़ जनजातीय आबादी लाभान्वित हो रही है। प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 ग्राम पेसा क्षेत्र में आते हैं। अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, बड़वानी, अनूपपुर एवं डिंडोरी पूर्ण पेसा जिलों में रूप में चिन्हित हैं। जबकि बालाघाट, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगोन, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी उमरिया एवं रतलाम आंशिक पेसा जिले हैं। प्रदेश में ग्राम स्तर, पंचायत स्तर, विकासखंड, जिला एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षणों के जरिये पेसा एक्ट में उल्लेखित गतिविधियों के क्रियान्वयन से जनजातीय क्षेत्रों में प्रगति आई है। पेसा की मूल भावना आदिवासी समुदायों को उनकी पारम्परिक संस्कृति और हितों को संरक्षित करते हुए विकास की मुख्यधारा में लाना है।

पीएम जन-मन के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अव्वल

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना से मध्यप्रदेश में निवास करने वाली बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों को सबसे बड़ा लाभ मिल रहा है। मध्यप्रदेश इस योजना के सफल क्रियान्वयन में पूरे देश में अव्वल साबित हो रहा है। पीएम जन-मन में मध्यप्रदेश में लक्षित शत-प्रतिशत पीवीटीजी आबादी के जन-धन बैंक खाते खोल दिये गये हैं। आधार कार्ड, जाति प्रमाण-पत्र, आयुष्मान भारत कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड सहित पीएम किसान सम्मान निधि प्रोत्साहन राशि वितरण में भी लगभग 95 प्रतिशत से अधिक उपलब्धि हासिल कर ली गई है। हितग्राहीमूलक योजनाओं के लाभ प्रदाय में भी उच्च प्रदर्शन करते हुए मध्यप्रदेश में 93.31 प्रतिशत से अधिक पीवीटीजी व्यक्तियों को हितलाभ वितरण कर दिया गया है। पीएम जन-मन में 31 हजार 719 से अधिक हितग्राहियों के पक्के आवास तैयार कर दिये गये हैं। पीवीटीजी बहुल गांवों में सड़कों के विस्तार पर सरकार का विशेष जोर है। पहले चरण में 146 बसाहटों में 294 किमी लंबाई युक्त 125 सड़के मंजूर की गई हैं। दूसरे चरण में 51 बसाहटों में 180.29 कि.मी. लम्बाई वाली 40 सड़कें केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत की गई हैं। इनमें से 119 सड़कों के निर्माण शुरू हो गये हैं। ये सभी सड़कें जून 2025 तक बन जायेंगी।

पीवीटीजी आहार अनुदान योजना

राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से पिछड़ी जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के लिये पोषण आहार अनुदान योजना चलाई जा रही है। योजना में पीवीटीजी जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रूपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जा रही है। इसके लिये सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट 450 करोड़ रूपये आवंटित किये हैं। बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2024-25 में ही 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय करने का निर्णय लिया है। पीवीटीजी बहुल क्षेत्रों में 217 नये आंगनवाड़ी भवन भी बनाये जा रहे हैं। इसके लिये सरकार ने बजट में 150 करोड़ रूपये प्रावधानित कर लिये हैं।

पीवीटीजी बटालियन

जनजातीय कार्य विभाग की शौर्य संकल्प योजना के अंतर्गत प्रदेश में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह बैगा, भारिया एवं सहरिया के लिये अलग से पीवीटीजी बटालियन गठित की जायेगी। साथ ही इस समूह के इच्छुक युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये इन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसी प्रकार आर्मड फोर्सेस में भर्ती के लिये प्रशिक्षण योजना में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के युवाओं को नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, पुलिस, होमगार्ड एवं अन्य निजी सुरक्षा एजेन्सियों में भर्ती कराने के लिये इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये विकास प्राधिकरण

जनजातीय कार्य विभाग में विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये एजेन्सी भी तय की गई हैं। इसके लिये प्रदेश में 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं। बैगा विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 6 जिले (मण्डला, शहडोल, बालाघाट, उमरिया, डिण्डौरी एवं अनूपपुर) आते हैं। भारिया विकास प्राधिकरण में (पातालकोट) के कार्यक्षेत्र में छिन्दवाड़ा जिले के तामिया विकासखण्ड के पातालकोट क्षेत्र के 12 गांव आते हैं। सहरिया विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 8 जिले (श्योपुरकलां, मुरैना, भिण्ड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, ग्वालियर एवं दतिया) आते हैं।

जनजातीय विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, आवास किराया सहायता एवं कोचिंग का मिल रहा लाभ

जनजातीय विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास एवं कल्याण के लिये विशेष कदम उठाये जा रहे हैं। विभाग द्वारा जनजातीय विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, आवास किराया सहायता, परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण एवं सिविल सेवाओं में भर्ती के लिये नि:शुल्क कोचिंग सहित सफल होने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

कक्षा पहली से आठवीं तक प्री-मेट्रिक राज्य छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 17 लाख 36 हजार 14 विद्यार्थियों को 56 करोड़ 59 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 9वीं और 10वीं केन्द्र प्रवर्तित प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 1 लाख 51 हजार 292 विद्यार्थियों को 52 करोड़ 15 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे कुल 2 लाख 33 हजार 91 विद्यार्थियों को 356 करोड़ 95 लाख रूपये पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति वितरित की गई।

अजजा विदेश अध्ययन छात्रवृति योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रूपये की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा एक लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रूपये की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा परीक्षा के लिये निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग योजना में वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रूपये व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रूपये से 580 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया।

आकांक्षा योजना

वर्तमान में जनजातीय विद्यार्थियों को आकांक्षा योजना के अंतर्गत जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में कोचिंग दी जा रही है। इस अत्यंत सराहनीय योजना में जनजातीय वर्ग के 10वीं पास विद्यार्थियों को राज्य सरकार नीट, क्लैट एवं जेईई की नि:शुल्क कोचिंग देने का कार्य कर रही है। नि:शुल्क कोचिंग के साथ सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट भी देगी। टैबलेट के लिये डेटा प्लान भी सरकार नि:शुल्क उपलब्ध करायेगी। इस योजना के लिये सरकार ने बजट में 10.42 करोड़ रूपये आरक्षित किये हैं।

रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी

जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। जनजातीय विद्यार्थियों को बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित कराने के लिये फ्री कोचिंग दी जायेगी। इसके लिये सरकार प्रदेश के सभी जनजातीय विकासखंडों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित करने की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है। इस प्रशिक्षण अकादमी के जरिये जनजातीय विद्यार्थियों को जेईई, नीट, क्लेट और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की बड़ी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग देकर इन्हें परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जायेंगे। वर्तमान में अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा की तैयारी कराने के लिये निजी कोचिंग संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों को कोचिंग दी जा रही है। अब सभी ट्राईबल ब्लॉकों में जनजातीय विद्यार्थियों को इस तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की फ्री कोचिंग का लाभ देने के लिये योजना की संशोधित डीपीआर तैयार कर ली गई है। जल्द ही रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी प्रारंभ कर दी जायेंगी।

सीएम राइज स्कूल

जनजातीय वर्ग के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की ठोस चिंता करते हुए सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिये 667 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन का छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये प्रावधान किया हैं।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिये मध्यप्रदेश की बड़ी तैयारी

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान में प्रदेश के 51 जिलों के 267 विकासखंडों में स्थित 11 हजार 377 जनजातीय बहुल गांवों का सर्वांगीण विकास किया जायेगा। इस अभियान से इन 51 जिलों में 43 जनजातीय समुदायों के 18 लाख 58 हजार 795 परिवार निवास करते हैं, जिनकी कुल 93 लाख 23 हजार 125 लोग सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। मध्यप्रदेश ने इस अभियान का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए तेजी से तैयारी की है। राज्य सरकार ने 1226 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले विकास कार्यों के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिये हैं। इस राशि से जनजातीय क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास, स्वास्थ्य सुविधाएं, गांव-गांव तक पहुंच रोड और कौशल विकास प्रशिक्षण के जरिये रोजगार के अवसरों का विस्तार किया जाएगा। केंद्र सरकार के 18 मंत्रालय और विभागों द्वारा जनजातीय समुदायों को 25 प्रकार की सुविधाएं एवं सेवाएं सहज रूप से उपलब्ध कराई जाएंगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पक्का घर और पीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ा जाएगा। जल शक्ति मंत्रालय जल जीवन मिशन के माध्यम से पात्र गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करेगा, जबकि ऊर्जा मंत्रालय अविद्युतीकृत गांवों और बसाहटों में बिजली पहुंचाने का कार्य करेगा। यह अभियान केंद्र सरकार के समग्र विकास के प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें जनजातीय समुदायों को सामाजिक और आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने की विशेष योजना बनाई गई है।

 

 घनश्याम सिरसाम/बीके इंजी नरेश बाथम

न्यूज़ सोर्स : mpinfo/mp1news Bhopal