बीजिंग   । मानव चिकित्सा के इतिहास में पहली बार चीन के वैज्ञानिकों ने सूअरों में मानव किडनी विकसित करने में सफलता पाई है। चीन के गुआंगज़ौ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ के वैज्ञानिकों को इस खोज का श्रेय जाता है। वैज्ञानिकों ने शोध में बताया कि, सूअरों में मानवीकृत किडनी विकसित की है। इनमें मानव कोशिकाएं होती हैं। ये खोज आने वाले दिनों में अंग दान की कमी को पूरा कर सकती है। इस प्रयोग में मानव और सूअर की कोशिकाओं का संयोजन कर मानव-सूअर काइमेरिक भ्रूण बनाकर सरोगेट मादा सूअरों में ट्रांसफर किया जाता था।हालांकि, वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी इन किडनियों का प्रयोग मानव में ट्रांसप्लांट के लिए नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, ज्यादातर विकसित किडनियों में सूअरों की वाहिकाएं और तंत्रिकाएं थीं। हालांकि, उन्होंने एक और भी महत्वपूर्ण बात बताई, ‘अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि वर्तमान आनुवंशिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी से कोई मानव अंग बनाया जा सकता है या नहीं।’
‘गुआंगज़ौ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ’ के शोधकर्ताओं ने बताया, ‘उनका ध्यान पूरी तरह से किडनी को विकसित करने पर था। ये मानव चिकित्सा में सबसे अधिक ट्रांसप्लांट होने वाला अंग है। चीनी अकादमी के विज्ञान और वुयी विश्वविद्यालय के गुआंगज़ौ इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिसिन एंड हेल्थ के वरिष्ठ लेखक लियांगक्सू लाई ने बताया, ‘पूर्व में सूअरों में मानव अंगों को विकसित करने के कई प्रयास असफल रहे थे।’वैज्ञानिकों ने बताया, ‘हमारा एप्रोच था कि सूअरों में मानव किडनी को विकसित किया जाए। इसके लिए हमें प्राप्तकर्ता (सूअरों) में मानव कोशिकाओं को सही तरीके से पहुंचाना था।’ 
ये वैज्ञानिक समूह बधाई के लिए इसलिए भी पात्र हैं क्योंकि पूर्व में सूअरों में मानव किडनियों को विकसित करने के कई प्रयास असफल रहे हैं।’ जानकारी के अनुसार, किडनी की विकास के दौरान सूअर की कोशिकाएं मानव कोशिकाओं को नष्ट कर देती थीं, जिसके वजह से परिणामी उत्पाद (किडनी) केवल सूअर के ही होते थे। चीनी वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से एकल-कोशिका सूअर भ्रूण की इंजीनियरिंग की एक बाधा को पार कर लिया है।