सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के कानूनों के तहत विनियमित मंदिरों के कथित कुप्रबंधन या वहां से एकत्र धन के दुरुपयोग के सबूत मांगे हैं। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से सिर्फ अनुमान के बजाय ठोस सबूत या सामग्री उपलब्ध कराने को कहा है। पीठ हिंदुओं, जैन, सिखों और बौद्धों को अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन करने का अधिकार देने की मांग वाली याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई करेगी।सीजेआई उदय उमेश ललित व जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने याचिकाकर्ता भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय के वकील अरविंद दातार और गोपाल शंकर नारायणन को अतिरिक्त सामग्री दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। याचिका में देश में ईसाईयों और मुसलमानों की तरह हिंदुओं, जैन, सिखों और बौद्धों को अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन करने का अधिकार देने की मांग की गई है।शंकर नारायणन ने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए दावा किया कि 15,000 मंदिरों को बंद कर दिया गया है क्योंकि वे कर्मचारियों को भुगतान नहीं कर सके और मंदिर की भूमि को बर्बाद किया जा रहा है।