छतरपुर ।   छतरपुर जिले के नौगांव में संचालित शराब फैक्ट्री जैकपिन ब्रैवरेज प्रालि में मजदूरों की मौत का मामला जांच रिपोर्ट और अधिकारियों की अनदेखी में उलझकर रह गया है। दो मजदूरों की मौत हो गई और तीन मजदूर गंभीर हुए थे। यह वो मजदूर थे जो करीब एक महीने पहले शराब फैक्ट्री में काम करने आए थे। जिनको कंपनी की और से 15 हजार रुपये महीना दिया जाता था। खतरनाक हालातों में काम कराने वाली शराब फैक्ट्री संचालक ने इन मजदूरों को सुरक्षा उपकरण और बेहतर व्यवस्थाएं तक देना जरूरी नहीं समझा। बंद कमरे में दम घुटने से मौत हुई या गेट पर छटपटाकर किस कारण मजदूरों की मौत हो गई इसकी हकीकत अभी तक सामने नहीं आ सकी है। झूठ पर झूठ बोलने वाले जिम्मेदार लाेग घटना पर पर्दा डालते रहे हैं। अब विसरा रिपोर्ट आनी बाकी है। यह रिपोर्ट मजदूरों की मौत की हकीकत बयां करेगी। लेकिन मजदूरों की छटपटाहट, नौगांव के डाक्टरों की दम घुटने वाली रिपोर्ट और जिला अस्पताल के डाक्टरों ने करंट लगना बताया। एक घटना के तीन एंगल सामने आने से मामला संदिग्ध ही बना हुआ है। मजदूरों के स्वजनों को क्या राहत दी गई या उनको खाली हाल डरा धमकाकर चलता कर दिया यह जानने के लिए फैक्ट्री संचालक निखिल बंसल को उनके फोन पर काल किया गया लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया।

आबकारी अधिकारी बोले वो मजदूरी नहीं करते थे

शराब फैक्ट्री में मजदूरों की मौत के मामले में शराब फैक्ट्री मालिक पर कार्रवाई करने की अपेक्षा उनका कहना है कि जिन मजदूरों के साथ हादसा हुआ था वह तो तत्काल में बुलाए गए थे वह मजदूरी नहीं करते थे। जबकि मजदूरों ने साफ कहा है कि वह यहां नौकरी करते हैं। इधर फैक्ट्री में होने वाले हादसे को लेकर फैक्ट्री मालिक ने जुबान तक नहीं खोली है। वह मीडिया से बच रहे हैं। इधर स्वजनों का कहना है कि फैक्ट्री में आए दिन होने वाले हादसों को लेकर प्रशासन को चुप्पी की जगह ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।

मजदूरों के लिए शौचालय तक की व्यवस्थाएं नहीं

फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को ठेकेदारों के माध्यम से यूपी, बिहार सहित अन्य शहरों से बुला लिया जाता है। फिर उनके साथ बंधुआ मजदूरों की तरह व्यवहार किया जाता है। कंपनी के गेट हमेशा बंद रहते हैं। मजदूरों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। जबकि कानूनी रूप से फैक्ट्री में काम कराने वाले मजदूरों का बीमा कराना, जान जोखिम वाली काम में सुरक्षा संसाधन देना, रहने की बेहतर व्यवस्थाएं उपलब्ध कराना श्रम अधिनियम की गाइड लाइन में शामिल है। लेकिन फैक्ट्री संचालक इन बातों पर ध्यान तक नहीं देता।

श्रम विभाग ने फैक्ट्री संचालक से मांगी जानकारी

फैक्ट्री में मजदूरों की मौत के मामले में श्रम विभाग ने फैक्ट्री संचालक को नोटिस भेजकर कर्मचारियों के बीमा, पीएफ आदि दस्तावेज जांच के लिए मांगे गए हैं। क्योंकि लगातार आ रही शिकायतों के बाद श्रम विभाग ने कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं जो नहीं मिल पाती उन पर फोकस किया है।

एफआइआर कराने पहुंचे स्वजन तो नौगांव पुलिस ने निभाया अपना रोल

घटना के बाद स्वजन एसडीएम के साथ नौगांव थाने पहुंचे थे। जहां देर तक वह बैठे रहे लेकिन तत्काल पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। एफआइआर दर्ज नहीं हुई तो स्वजन धरने पर बैठ गए। बाद में मामले का मर्ग कायम कर लिया गया है।

इनका कहना है

पीएम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होना सामने आया है। स्वजन जब एफआइआर दर्ज कराने के लिए थाने गए थे तब मैं भी साथ थी। बाद में स्वजनाें ने एफआइआर दर्ज नहीं कराई। इस मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। इसके लिए श्रम और पाल्युशन बोर्ड को भी हमने लिखा है।

-विशा माधवानी, एसडीएम, नौगांव

जिन मजदूरों के साथ हादसा हुआ था वह नौकरी नहीं करते थे उनको तत्काल काम कराने के लिए बुलाया गया था। ऐसे लोगों के बीमा कहां होते हैं।बीआर वैद्य, जिला आबकारी अधिकारी, छतरपुरफैक्ट्री में इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन हमें कंपनी की ओर से किसी ने सूचना तक नहीं दी थी। जब हमने फोल लगाया तो पुलिस ने उठाया और हमको बुलाया।

-रामप्रसाद, मजदूरों के स्वजन