देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जा रही है। चुनावी घोषणा पत्र और गारंटियों की सूची तैयार हो रही है। इस बीच कर्मचारी संगठनों ने भी विपक्षी दलों के समक्ष अपनी मांगें रख कर उन्हें घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया है। पिछले सप्ताह नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के अध्यक्ष विजय बंधु ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर उनसे अपील की थी कि वे पुरानी पेंशन बहाली एवं निजीकरण की समाप्ति के विषय को पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें। अब 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' (एआईटीयूसी) ने I.N.D.I गठबंधन के सामने अपनी 27 मांगें रखी हैं। इन्हें चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया गया है। इन मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, केंद्र सरकार में 12 लाख रिक्त पदों को भरना, 8वां वेतन आयोग गठित करना, संसद द्वारा पारित चार श्रमिक विरोधी श्रम संहिताओं को वापस लेना और सभी योजना आधारित श्रमिकों को वर्कमैन का दर्जा देना एवं उनकी सेवाओं को स्थायी सरकारी कर्मचारियों के रूप में नियमित करना, आदि शामिल हैं।

बैठक में सर्वसम्मति से पारित की गईं 27 मांगें

स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, राजनीतिक दलों के श्रमिक वर्ग और ट्रेड यूनियनों की मांगों पर विचार करने के लिए गत सप्ताह नई दिल्ली में एआईटीयूसी की कार्य समिति की बैठक हुई थी। इसमें सर्वसम्मति से 27 मांगें पारित की गईं। राजनीतिक दलों के समूह इंडिया गठबंधन से आग्रह किया गया है कि इन सभी मांगों को वह अपने घोषणा पत्र में शामिल करे। अन्य मांगों में प्रत्येक वर्ष भारतीय श्रम सम्मेलन की बैठकें सुनिश्चित करना, भारतीय श्रमिक वर्ग की सदियों पुरानी मेहनत से अर्जित अधिकारों को छीनने के लिए संसद द्वारा पारित चार श्रमिक विरोधी श्रम संहिताओं को वापस लेना और श्रम कानूनों में सुधार के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ चर्चा शुरू करना शामिल है। सभी आवश्यक वस्तुओं और आवश्यक वस्तुओं जैसे पेट्रोल, डीजल, एलपीजी आदि की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करना, सभी योजना आधारित श्रमिकों को वर्कमैन का दर्जा देना और उनकी सेवाओं को स्थायी सरकारी कर्मचारियों के रूप में नियमित करना, ये मांगें भी बैठक में पारित की गई हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 600 रुपये की मजदूरी के साथ न्यूनतम 200 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना और सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये तय करना भी शामिल है।

आयुध कारखानों के निगमीकरण को वापस लेना

प्रत्येक संगठन की सदस्यता के आधार पर प्रतिनिधिमंडलों सहित विभिन्न द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय समितियों एवं सलाहकार मंचों में सभी मान्यता प्राप्त केंद्रीय संघों का आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना। कर्मचारी पक्ष के साथ समय-समय पर बैठकें आयोजित कर, केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संयुक्त सलाहकार मशीनरी योजना के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करना। बैठक में लिए गए निर्णयों और जेसीएम योजना के तहत मध्यस्थता पुरस्कारों को समयबद्ध तरीके से लागू करना। आयुध कारखानों के निगमीकरण को वापस लेकर उन्हें आयुध निर्माणी बोर्ड के रूप में एक सरकारी उद्योग के रूप में आयुध कारखानों की स्थिति को बहाल करना। सामरिक आयुध कारखानों की बेहतरी के लिए ट्रेड यूनियनों द्वारा दिए गए वैकल्पिक और मजबूत प्रस्तावों को लागू करना। रेलवे, रक्षा, बीएसएनएल, बैंक, सामान्य बीमा, एलआईसी, कोयला और खदान, औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, हवाई अड्डे, बंदरगाह और बंदरगाह, बिजली, इस्पात, तेल, भारी इंजीनियरिंग और निर्माण आदि में निजीकरण को वापस लेना।

बिना गारंटी वाले एनपीएस को वापस लेना

केंद्र सरकार के विभागों और संगठनों में खाली पड़े 12 लाख से अधिक पदों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में खाली पड़े 5 लाख पदों को भरा जाए। बिना गारंटी वाले एनपीएस को वापस लेकर पुरानी पेंशन योजना के तहत परिभाषित और गारंटीशुदा पेंशन को बहाल करें। ईपीएस-95 के तहत न्यूनतम 9000 रुपये पेंशन की गारंटी दें। बोनस की अधिकतम सीमा को न्यूनतम एक महीने के वेतन तक बढ़ाएं और ईपीएफ व ईएसआईसी में योगदान की सीमा भी बढ़ाई जाए। सशस्त्र बलों में अग्निवीर योजना को वापस लेकर स्थायी नियुक्ति भर्ती प्रणाली को वापस बहाल किया जाए। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सेवा मामलों में मुकदमों की बहुलता को प्रतिबंधित करना चाहिए। एक बार जब उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय किसी विशेष मामले में कर्मचारियों के पक्ष में कानून स्थापित कर देता है, तो ऐसे लाभों को केवल उसी याचिकाकर्ता तक ही सीमित नहीं रखा जाए। यह लाभ समान रूप से रखे गए सभी कर्मचारियों तक बढ़ाया जाना चाहिए।

सशस्त्र/तटरक्षक बलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करना

रोजगार और पदोन्नति के मामले में सशस्त्र बलों और तटरक्षक बल में लैंगिक समानता सुनिश्चित करना। देश के सभी निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में चिकित्सा उपचार शुल्क तय करने के लिए नियामक प्राधिकरण नियुक्त करना। सर्वोच्च न्यायालय पहले ही भारत सरकार को सभी निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में चिकित्सा उपचार शुल्क सीजीएचएस दरों के बराबर तय करने का निर्देश दे चुका है। संसदीय समिति की अनुशंसा के अनुसार, देश के सभी जिलों में सीजीएचएस वेलनेस सेंटर स्थापित करना। सरकारी स्कूलों/कॉलेजों को आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता के अनुरूप मजबूत और विकसित करना, ताकि निजी स्कूलों और कॉलेजों द्वारा की जा रही लूट पर अंकुश लगाया जा सके। देशभर के सरकारी अस्पतालों में सभी आधुनिक चिकित्सा और मल्टीस्पेशलिटी उपचार सुविधाओं को मजबूत करना। आयकर सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष करना और पेंशनभोगियों को आयकर के दायरे से छूट देना। भारतीय रेलवे में वरिष्ठ नागरिक एवं महिला वरिष्ठ नागरिक रियायत बहाल करना। केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रियाओं की समीक्षा करना और उन संगठनों में कर्मचारियों के बच्चों के लिए प्रवेश के लिए आरक्षण और प्राथमिकता प्रदान करना। आयुध निर्माणी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश बहाल करना, जो आयुध निर्माणियों के निगमीकरण के बाद बंद हो गया है। कैजुअल और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को स्थायी श्रमिकों के रूप में नियमित करना। स्थायी श्रमिकों के समान काम करने वाले अनुबंध, श्रमिकों के लिए समान वेतन जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है, सभी नियोक्ताओं द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। आउटसोर्सिंग को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।