रायपुर। वन विभाग की नर्सरियों में प्लास्टिक प्रतिबंधित करने के निर्देश वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सितंबर 2019 में जारी किया था। इस निर्देश के बाद नर्सरी में तैयार होने वाले पौधों को पालीथिन में नहीं, बल्कि बांस, दोना या अन्य विकल्पों में तैयार करना था। इस निर्देश को जारी हुए चार साल बीत गए, लेकिन अब तक विभागीय अधिकारी पालीथिन का विकल्प तलाश नहीं पाए हैं। लिहाजा प्रदेश की नर्सरियों में अभी भी पालिथिन बैग में ही पौधों को तैयार किया जा रहा है।

इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों की दलील है कि पौधों को बांस, दोना या डिस्पोजल बायोडिग्रेट में तैयार करने के लिए प्रयोग किया गया था।छोटे पैमाने पर यह प्रयोग सफल रहा, लेकिन बड़े पैमाने पर यह प्रयोग असफल हो रहे हैं।पालीथिन का विकल्प तैयार नहीं हो पा रहा है, इसलिए मनाही के बावजूद पालीथिन में पौधे तैयार करने के लिए कर्मचारी विवश हैं।

छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के ज्यादातर नर्सरियों में पौधे काले रंग के प्लास्टिक बैग में तैयार किया जाता है। छत्तीसगढ़ का वन विभाग इसके लिए हर वर्ष करीब 25 करोड़ की प्लास्टिक की खरीदी करता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हर साल तीन करोड़ से ज्यादा पौधे तैयार होते हैं।इस वर्ष भी वन विभाग के अधिकारियों ने तीन करोड़ पौधों के रोपण तथा वितरण का लक्ष्य रखा है।हालांकि जानकारों का कहना है कि भले ही वन विभाग हर वर्ष करोड़ों खर्च कर पौध रोपण का दावा करता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।जिन इलाकों में पौध रोपण किया जाता है,वहां पौधे दिखाई नहीं देते। पूछने पर अफसर सूख जाने का बहाना बताते है।

बांस के दोने बनाने में प्लिास्टक बैग की तुलना में करीब 35 फीसदी कम खर्च होगा। विभाग के पास बांस की कमी नहीं है। दोना बनाने में उसी का उपयोग किया जाएगा। थैली के लिए कपड़े खरीदकर महिला समूह को दिया जाएगा। वे अपने स्वसहायता केंद्र में थैली तैयारी नर्सरी में सप्लाई करेंगी। अफसरों के अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा रोजगार के अवसर के रूप में आएगा।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शासन के निर्देश पर लगातार पालीथिन के विकल्प की तलाश की जा रही है। प्रदेश की शोध संस्थाओं के अलावा दूसरे राज्यों के शोध संस्थाओं से संपर्क किया जा रहा है। विभाग जिस पालीथिन में पौधे तैयार कर रहा है, वो ज्यादा हानिकारक नहीं है। फिर भी वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार विकल्प पर लगातार काम किया जा रहा है। जैसे ही पालीथिन का विकल्प मिलेगा, तत्काल उसमे पौधरोपण शुरू किया जाएगा।

रायपुर डीएफओ ने कहा, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार पालीथिन के विकल्प पर काम किया जा रहा है। फिलहाल विकल्प नहीं मिलने के कारण पालिथीन में अभी भी पौधे तैयार किए जा रहे हैं।