कुशीनगर जिले के कर्ज लौटाने में देरी पर मजदूर के घर में घुसकर चिटफंड कंपनी के फील्ड अफसर ने बेटी से बदसलूकी की। इससे आहत मजदूर ने जहरीला पदार्थ खा लिया। तबीयत बिगड़ने पर घर वालों को जानकारी हुई। उसका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। कंपनी के मैनेजर ने बकाया वसूली पर रोक लगा दी है।

खड्डा थाना क्षेत्र के मठिया बुजुर्ग गांव निवासी कासीम मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। दो साल पूर्व अपनी पत्नी नैरून निशा के नाम से एक चिटफंड कंपनी से 40 हजार रुपये कर्ज लिया था। सप्ताह में उसकी 468 रुपये किस्त आती थी। बीच में मजदूर की तबीयत बिगड़ने के कारण समूह का किस्त बकाया रह गया।

बुधवार की देर शाम को कंपनी के फील्ड अफसर गांव के बरई टोला के कुछ युवक और समूह में काम करने वाली दो महिलाओं के साथ कासीम के घर पहुंचा। कासीम और उनकी पत्नी घर पर नहीं मिलीं। मजदूर की बेटी से फील्ड अफसर उलझ गया। विरोध करने पर बदसलूकी की। आसपास के लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया।

देर रात को मजदूर घर पहुंचा तो बेटी लिपट गई और फूट-फूट कर रोने लगी। इससे आहत होकर बुधवार को सुबह कीटनाशक दवा पी लिया। तबीयत बिगड़ने पर घर वाले उसे लेकर तुर्कहा सीएचसी पर पहुंचे। प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां मजदूर का इलाज चल रहा है। मजदूर का आरोप है कि वह समय से किस्त जमा करता था। सिर्फ 14 हजार रुपये बाकी रह गया है।

तबीयत खराब होने के कारण विलंब हो गया और इसके लिए फील्ड अफसर से समय मांगा था। लेकिन फील्ड अफसर मान नहीं रहे थे। पूर्व में भी कई बार फील्ड अफसर उलझ चुके हैं। इसकी शिकायत चिटफंड कंपनी के सिसवा ब्रांच पर कर चुका था। लेकिन कोई सुन नहीं रहा था। बेटी से बदसलूकी और फील्ड अफसर की प्रताड़ना से तंग आकर जहर खाना पड़ा। इस संबंध में इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है। तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

नैरूननिशा ने बताया कि एक माह पूर्व फील्ड अफसर दरवाजे पर आए। कासीम बीमार थे। रुपये पास में नहीं थे। इस लिए किस्त जमा नहीं किया। इससे नाराज फील्ड अफसर ने दो युवकों को बुलाया और दरवाजे से दो बकरियों को उठा ले गए। तीन दिन बाद किस्त जमा करने के बाद लौटाए। इतना ही नहीं, घरेलू सामान तक उठा ले जाते हैं। खड्डा तहसील के गांवों में समूह से लोन लेने के बाद कर्ज देने में असमर्थ गरीबों को प्रताड़ित किया जाता है।

खड्डा के लक्ष्मीपुर पड़रहवा गांव निवासी 30 वर्षीय दुखी एक चिटफंड कंपनी से समूह के जरिए कर्ज लिया था। बीमार होने के कारण वह समूह का कर्ज जमा नहीं कर पाता था। इसकी पत्नी दूसरे के घर काम कर बच्चों का पेट पालती थी और पति का इलाज कराती थी। चिटफंड के फील्ड अफसर बार-बार दरवाजे पर आकर धमकाते थे। इससे तंग आकर दुखी 30 जून को अपनी झोपड़ी में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। खड्डा इलाके में ऐसे लोग समूह से कर्ज लेने के बाद प्रताड़ना झेल रहे हैं।

सिसवा में चिटफंड कंपनी का ब्रांच है। उससे कासीम ने कर्ज लिया है। इसके मैनेजर जितेंद्र कुमार ने बताया कि कासीम के घर समूह से कर्ज देने के लिए मैं गया था। बीच में किस्त जमा कराने के लिए फील्ड अफसर जाते थे। लेकिन वह समय से किस्त जमा नहीं करते थे। दो दिन पूर्व फील्ड अफसर के साथ समूह में शामिल लोग भी कासीम के घर गए थे। इसकी मुझे जानकारी हुई तो मैंने फील्ड अफसर को मना किया। इसका अकाउंट ओडी कर दिया गया है। कर्ज वसूली के लिए कोई दबाव नहीं डाला जाएगा।