ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में दादियों के युग की समाप्ति,एक्टिव अलर्ट और एक्यूरेट थीं दादी जी,ब्रह्माकुमारीज़ आदर्श मार्गदर्शिका संस्थान की स्थापना सदस्यों में सबसे लंबा आध्यात्मिक सफर तय करने वाली दादी को श्रृद्धांजलि, 25 मार्च 1925 को सिंध हैदराबाद में जन्म,13 वर्ष की आयु में 1937 में ब्रह्मा बाबा से मिलीं,50 हजार ब्रह्माकुमारी पाठशाला संचालित,50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों की रहीं नायिका,6000 सेवाकेंद्र दादी के मार्गदर्शन में संचालित,1956 से 1969 तक मुंबई में दीं सेवाएं,1954 जापान में विश्व शांति सम्मेलन में किया संस्थान का प्रतिनिधित्व।

भोपाल ब्रह्मकुमारीज सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर नीलबड़ में राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी का श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुआ आयोजित।श्रद्धांजलि कार्यक्रम में दादी के साथ बिताए हुए पलों को साझा करते हुए आदरणीय नीता दीदी जी ने कहा कि आप आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर थीं। आप सदैव आध्यात्मिक प्रकाश, ज्ञान और करुणा के रूप में याद की जाएंगी। आपकी जीवन यात्रा सादगी और सेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता में निहित रही। आपकी विनम्रता, धैर्य, विचारों की स्पष्टता और दयालुता सदा याद रहेगी। आगे नीता दीदी ने बताया कि वह अपने जीवन की हर छोटी बड़ी बात दादी जी से साझा करती थी और उनसे एक श्रेष्ठ मार्गदर्शन लेकर अपना पुरुषार्थ  को सहज बनाती थी । इस प्रकार दादी जी संस्थान से जुड़ी 50000 समर्पित ब्रह्माकुमारी  बहनों की मार्गदर्शिका थी।

वहीं वरिष्ठ राजयोगी भ्राता राम कुमार जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि दादी एक महान विभूति थी जो  मात्र 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ीं और पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया। 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हो जाती थी। सबसे पहले वह परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती थी। राजयोग मेडिटेशन उनकी दिनचर्या में सदा शामिल रहा। दादी जी ब्रह्माकुमारी संस्थान की स्थापना सदस्य में से एक थी आपने सबसे लंबे समय, 88 वर्ष तक संस्था में समर्पित होकर एक गौरवशाली आध्यात्मिक यात्रा तय की। आप संस्थान की आखिरी दादी थीं। आपके पश्चात अब दूसरी पीढ़ी का युग शुरू हुआ। आपके नेतृत्व में युवा प्रभाग द्वारा देशभर में अनेक राष्ट्रीय युवा पदयात्रा, साइकिल यात्रा और अन्य अभियान चलाए गए।  चार वर्ष पूर्व दादी हृदयमोहिनी के देहावसान के बाद आप मुख्य प्रशासिका बनीं थीं। पिछले 40 साल से आप संस्थान के युवा प्रभाग की अध्यक्षा रहीं। आपके नेतृत्व में वर्ष 2006 में भारतभर में निकाली गई युवा पदयात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया था। 2014 में दादी जी की सेवाओं को देखकर गुलबर्गा विश्वविद्यालय उन्हें डॉक्टरेट की  उपाधि से नवाजा।

वरिष्ठ राजयोगिनी आदरणीय आराधना दीदी जी ने अपने अनुभव में बताया कि दादीजी के पास ही बहनों की ट्रेनिंग और नियुक्ति की कमान थी।वर्ष 1996 में ब्रह्माकुमारीज़ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि अब विधिवत बहनों को ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया और तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम की हैड नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक बहनों की नियुक्ति और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दादीजी के हाथों में रही। दादी के नेतृत्व में अब तक 6000 सेवाकेंद्रों की नींव रखी गई है।
वहीं वरिष्ठ राज्यों की शिक्षिका आर्किटेक्ट बीके दुर्गा दीदी जी ने बताया कि दादी जी के नेतृत्व में देश  में बनाए कई रिकार्ड। दादी के ही नेतृत्व में 1985 में भारत एकता युवा पदयात्रा निकाली गई। इससे 12550 किमी की दूरी तय की गई। यात्रा का शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। कन्याकुमारी से दिल्ली (3300 किमी) की सबसे लंबी यात्रा रही। दादी के निर्देशन में करीब 70 हजार किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्राएं निकाली गईं।

1985 में दादी ने की 13 पैदल यात्राएं...
वर्ष 2006 में निकाली गई युवा पदयात्रा ने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जहां नाम दर्ज कराया, वहीं सभी यात्रियों ने 30 हजार किमी की पैदल यात्रा तय की। दादी ने 13 मेगा पैदल यात्राएं की हैं। आपको देश-विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से समय प्रति समय दादी को सम्मानित किया गया है।वहीं ब्रह्मा कुमारी साक्षी दीदी ने बताया कि दादी जी 40 साल से युवा प्रभाग संभाल रहीं थी,युवा प्रभाग द्वारा दादीजी के नेतृत्व में 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा ने ब्रह्माकुमारीज़ के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया। पद यात्रा द्वारा पूरे देश में 30 हजार किमी का सफर तय किया गया। इसमें पांच लाख ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने भाग लिया। सवा करोड़ लोगों को शांति, प्रेम, एकता, सौहार्द्र, विश्व बंधुत्व, अध्यात्म, व्यसनमुक्ति और राजयोग ध्यान का संदेश दिया गया।                                                                                  

दादीजी की सेवा का सफर-* 
- 1954 में जापान में आयोजित विश्व शांति सम्मेलन में ब्रह्माकुमारीज़ का प्रतिनिधित्व किया। एक वर्ष तक एशिया के देशों में सेवाएं दीं।
-  1956 से 1969 तक मुंबई में ईश्वरीय ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। आध्यात्मिक सेवा के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की। देशभर में कई सेमिनार और सम्मेलन आयोजित किए।  
-  1972 से 1974 तक यूनाइटेड किंगडम में सेवाकेंद्रों की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।
-  1993 मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और व्याख्यान दिए।
-  1994 कैरेबियन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा में भारतीय संस्कृति का संदेश दिया।
-  1995 में देशभर में युवा विकास अभियान चलाया गया। इसमें माध्यम से युवाओं को अध्यात्म और राजयोग का संदेश दिया गया।
-  2001 में ब्राज़ील, अटलांटा (यूएसए), यूके में नेशनल एडवांस मेडिटेशन रिट्रीट की यात्रा की और संचालन किया।
-  2003 में मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में नेशनल एडवांस मेडिटेशन रिट्रीट की यात्रा की और आयोजन किया।
-  2005 में डब्ल्यूपीसी 1954 के स्वर्ण जयंती वर्ष की स्मृति में दादी ने जापान (फिलीपींस और हांगकांग) का दौरा किया।    कार्यक्रम में भोपाल शहर के कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया तथा दादी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की,कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन ब्रह्मा कुमारी हेमा दीदी द्वारा किया गया।                                                                                                                                        बीके इंजी नरेश बाथम

न्यूज़ सोर्स : mp1news Bhopal