हमारे हिंदू धर्म में 18 पुराणों में से एक गरुण पुराण है.भगवान विष्णु एवं पक्षिराज गरुण जी का संवाद विस्तार पूर्वक इसमें वर्णित है. हमारे सनातन धर्म से जुड़ी कई सारी विधियों, नियमों, कर्मकांडों आदि के बारे में विस्तार से गरुण पुराण में बताया गया है. इस गरुण पुराण में जीवन एवं मृत्यु का अटल सत्य बताया गया है.  इसमें यह भी बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीवात्मा जब शरीर त्यागती है.
इसके बाद उसे स्वर्ग एवं नरक लोक की प्राप्ति कैसे उसके किए गए कर्मों के अनुसार मिलता है. आज हम आपको गरुण पुराण में बताई गई वैतरणी नदी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं. यह वैतरणी नदी यमपुरी के मार्ग में पड़ने वाली एक नरकगामी नदी है. जिसकी यातनाएं गरुण पुराण में बहुत भयानक बताई गई हैं.
सभी के लिएवैतरणी नदीकष्टकारी नहीं
ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक ने कहा कि गरुण पुराण के अनुसार वैतरणी नदी दुष्ट एवं पाप कर्म करने वाले लोगों के लिए अति भयानक है. इसे पार करना मृत्यु के कष्ट से भी कई गुना अधिक कष्टकारी होता है. पर सभी के लिए यह वैतरणी नदी इतनी कष्टकारी नहीं होती है. यह नदी अच्छे कर्म करने वाली जीवात्माओं के लिए शांत एवं सरल बताई गई है. जानिए मृत्यु के बाद जब जीवात्मा यमलोक जाती हैं तब बीच में पड़ने वाली यह नदी को कैसे पार करती हैं.


गरुण पुराण में ऐसी है वैतरणी नदी
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बताया कि गरुण पुराण के अनुसार जो पापी जीव आत्माएं यमलोक के मार्ग को जाती हैं. उनको इस मार्ग के बीच वैतरणी नदी पार करनी पड़ती है. गरुण पुराण में इस नदी को अत्यंत भयानक बताया गया है, यह नदी कई योजन लंबी है. इस नदी में घोर अंधकार,आग की तरह खोलती हुई यह नदी अनेक प्रकार की दुर्गघं सहित पदार्थों से भरी हुई है.खून से भारी इस नदी को पापी जीवात्माएं पार करने से कांप उठती हैं. जिन व्यक्ति ने जीवन भर दूसरों को सताया, चोरी की है, शराब पीना का सेवन किया हो, गुरुजनों का अनादर किया हो, गलत कार्य किए हो, गरीबों का हक मारा हो, मां-बाप का अनादर किया हो, ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए पत्नी या पती से छल कपट किया हो, मित्र के साथ धोका किया हो, दान पुण्य नहीं किया हो, वेद-शास्त्रों को पाखंड तथा देवताओं का अनादर किया हो आदि कई प्रकार के पाप कर्म से रहित ऐसे लोगों को मृत्यु के बाद इस वैतरणी नदी को पार करना पड़ता है.

यम दूतनदी में आत्माओं को बांध कर ले जाते
यम के दूत पापी आत्माओं को यम पाश से बांध करइस नदी से ले जाते हैं. इस नदी में पापी मनुष्य कई बार इसमें डूबते हैं.नदी में माजूद सूईं की तरह बड़े-बड़े नुकीले दांतों वाले सर्प पापी आत्माओं को डंसतेहैं. नदी में बड़े-बड़े पैने दातों वाले गिद्ध, पापी आत्माओं को नोचतेहैं. पाप कर्म करने वाली आत्माएं इस नदी को पार करते समय बहुत रोती बिलखती है. कई आत्माओं को यमदूतों के यम पाश से बंधकर कील से खिचते हुए यह नदी पार करनी पड़ती है.नदी में ऐसी भयानक स्थिति में पापी प्राणी नरक की यातनाओं को सहते हुए कई बार बेहोश होता है. इसके बाद फिर होश में आकर जोर-जोर से चीखता बिलखता है. अंत में वह अपने पूर्व जन्म के कर्मों को याद कर के पछताने लगता है. इसके बाद अपनी संतान, मित्र, माँ पिता-पत्नी को याद कर के जोर-जोर से पुकारने लगता है.भय के मारे जोर-जोर से रोने लगता है एवं फिर इस नदी में कष्ट पाकर सोचता है कि मैने ऐसे कर्म क्यों किए. इतना सब होने के बाद भी यह नदी पार नहीं होती है.

इन आत्माओं को नही सहनी पड़ती है वैतरणीकी यातना
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गरुण पुराण के अनुसार जो लोग भगवत मार्ग पर चलते हैं. जिन्होनें भगवान विष्णु की भक्ति के साथ-साथ अपने आराध्या देवी-देवताओं की भक्ति की हो किसी के साथ छल कपट नहीं किया हो, जरूरतमंद व्यक्तियों की साहयता की हो, भगवान के नाम की चर्चा हो, उनके नाम का जाप, वेद-शास्त्रों का अध्ययन, यज्ञ, हवन-पूजन, एकादशी व्रत का पालन, चार धाम यात्रा, मंदिरों में दान-पुण्य, तीर्थयात्रा की हों ऐसे पुण्य कर्म करने वाले लोगों को वैतरणी नदी की यातना नहीं सहनी पड़ती है. वह आत्माओं को बिना दुःख दर्द के नदी पार हो जाती है.

गरुण पुराण में गाय दान का बहुत महत्व
पं पंकज पाठक ने बताया कि गरुण पुराण में लिखा हैजिसने भी अपने जीवन में एक बार भी गौ दान किया है. उनको वैतरणी नदी से वही गौ माता पार कराती हैं. पुराण में यह बताया गया है कि जब जीवात्मा वैतरणी नदी के पास पहुंचती हैं. तब उस नदी के तट पर वही गौ माता प्रकट होती हैं. जिनका दान आपने अपने जीवन काल में किया है एवं फिर जीवात्मा गाय की पूंछपकड़ कर बिना किसी यातना को भोग कर सीधा वैतरणी नदी पार कर लेती है. पर गाय का दान करते समय इस बात का ध्यान रखें की गाय को उसी जगह दान करें, जहां उनकीसैवा हो सके,देख-रेख हो सके. ऐसी जगह गाय का दान न करें जहां गाय को कष्ट भोगना पड़े. अगर ऐसा करते है तोउस पाप का स्वयं भुगतान आपको भोगना पड़ता है.