भोपाल। मप्र में विधानसभा चुनाव में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग देखने को मिली है। पिछले चार दशक से यहां वोटिंग का प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा है।इस बार मध्य प्रदेश में 76.55 फीसदी वोटिंग हुई है।बंपर वोटिंग से भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमे खुश नजर आ रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी जीत और सरकार बनने का दावा कर रहे है। 
हम बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। हालांकि पंद्रह महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने से पुन: भाजपा में सत्ता काबिज हो गई थी।

टूटा वोटिंग का पिछला रिकार्ड
इस बार मध्य प्रदेश में 76.55 फीसदी वोटिंग हुआ है। यह पिछले चुनाव से भी एक फीसदी अधिक है। इस बार महिलाओं ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। भाजपा  इसे लेकर खासी उत्साहित है। उधर कांग्रेस बंपर वोटिंग को सत्ता परिवर्तन का संकेत मान रही है। 2018 में मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे अधिक 75.63 फीसदी वोटिंग हुई थी। चुनाव में भाजपा ने 109 और कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल की थी। हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के बाद पुन: मप्र में भाजपा की सरकार आ गई थी।

चार दशक का वोटिंग का ट्रेंड
हम बता दें कि, 1985 के विधानसभा चुनाव में 49.79 फीसदी मतदान हुआ था। तब प्रदेश में कांग्रेस  सत्ता काबिज हुई थी। इसके बाद 1990 में 54.21 फीसदी मतदान हुआ, तो भाजपा सत्ता में आई। 1993 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 60.17 फीसदी वोटिंग हुई। इसमें एक बार फिर कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। 1998 के विधानसभा चुनाव में 60.21 फीसदी वोटिंग हुई। यह वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनावों के मुकाबले ज्यादा था। इसमें एक बार फिर मप्र में कांग्रेस सत्ता में काबिज हुई । इसके बाद मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हो गया। 2003 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो 67.25 फीसदी वोटिंग हुई। इसमें भारी को भारी जीत मिली। इस चुनाव में भाजपा को 173 और कांग्रेस को 38 और बसपा को दो सीटें मिली थी। 2008 के विधानसभा चुनाव में 69.78 फीसदी मतदान हुआ। यह पिछले चुनाव के मुकाबले 2.53 फीसदी अधिक था। भाजपा दूसरी बार फिर सत्ता में आई। इस चुनाव में भाजपा को 143 और कांग्रेस को 71 सीटें मिली। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी वोटिंग हुई। जिसमें भाजपा ने तीसरी बार फिर बड़ी जीत हासिल की और मप्र में सत्ता काबिज हुई। इस चुनाव में भाजपा को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिलीं थी।