अयोध्या । अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि के मंदिर का लोकार्पण 22 जनवरी को होगा। मंदिर परिसर में 7 और मंदिर बन रहे हैं, इनमें भगवान राम के गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ, ब्रह्मर्षि विश्वामित्र, रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि, अगस्त्य मुनि, रामभक्त केवट, निषादराज और शबरी के मंदिर शामिल हैं। यह सभी 2024 में कम्प्लीट हो जाएंगे।
बुधवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय मंदिर का ब्लू प्रिंट लेकर मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा, 3 मंजिल के राम मंदिर में अब सेकेंड फ्लोर बनाया जा रहा है। मंदिर का ग्राउंड फ्लोर तैयार हो चुका है। पहली मंजिल भी 80 प्रतिशत बन चुकी है। 200 साल में ऐसी रचना उत्तर भारत में नहीं हुई। मंदिर में परकोटों का निर्माण करवाया जा रहा है। ऐसे परकोटे सिर्फ तमिलनाडु और केरल के मंदिरों में बनते हैं। यह नए तरह का प्रयोग है। अभी निर्माण जारी है, पूरा होने में करीब 6 महीने और लगेंगे। इन परकोटा में बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए लिफ्ट लगेंगी।
चंपत राय ने बताया- परकोटे के एक कोने पर सूर्य मंदिर होगा। दूसरे कोने पर भगवान शंकर का मंदिर है। तीसरे पर भगवती और चौथे पर गणेश और दक्षिणी भुजा पर हनुमान मंदिर होगा। जटायु की प्रतिमा को कुबेर टीला पर स्थापित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 70 एकड़ के 30 प्रतिशत भाग पर निर्माण हो रहा है। बाकी जमीन पर पौधे लगाए जाएंगे। राम मंदिर के चारों ओर एक दीवार बनाई जा रही है। 70 एकड़ के नॉर्थ पार्ट में मंदिर बन रहा है। छोटे हिस्से में मंदिर इसलिए बनवा रहे हैं, क्योंकि 70 साल से कोर्ट में जिस प्लॉट नंबर पर केस था, उसी पर मंदिर बनाया जा सकता है। मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में होगा। उत्तर में निकास द्वार है। 33 सीढिय़ां चढऩे के बाद मंदिर में प्रवेश होगा। अंदर के सभी खंभों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें उकेरी जा रही हैं।
उधर, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में निमंत्रण मिलने के बाद भी इंडिया गठबंधन की पार्टियों के नेता अयोध्या नहीं जाएंगे। संगठन के सूत्रों का कहना है कि वे किसी राजनीति में नहीं पडऩा चाहते हैं। गठबंधन का कहना है कि वे राम के बुलावे पर ही रामलला के दर्शन करने जाएंगे। गौरतलब है कि इंडिया गठबंधन के कई नेता श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से मिले निमंत्रण के बाद कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर चुके हैं।