वाशिंगटन । एमनेस्टी इंटरनेशनल की ‎रिपोर्ट में साल 2022 में मौत की सजा के मामलों में 53 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एमनेस्टी की जारी वार्षिक रिपोर्ट में 2021 की तुलना में 2022 में मौत की सज़ा देने में 53 प्रतिशत की वृद्धि बताई है। इसमें ईरान तथा सऊदी अरब में खासा इज़ाफा हुआ है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रिपोर्ट में एशिया में सबसे ज्यादा मृत्यु दंड सुनाने के लिए इंडोनेशिया की आलोचना भी की है। एमनेस्टी ने कहा कि पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका में मौत की सज़ा दिए जाने की 70 फीसदी मामले ईरान में थे जहां 2021 में 314 लोगों को फांसी दी गई थी जबकि 2022 में 576 लोगों को मौत की सज़ा दी गई। सऊदी अरब में 2021 में 65 लोगों को मौत की सज़ा जबकि 2022 में यह संख्या बढ़कर 196 हो गई। 2021 की तुलना में कुवैत, म्यांमा, फलस्तीनी क्षेत्र, सिंगापुर और अमेरिका में भी मौत की सज़ा देने में खासी वृद्धि हुई है। साल 2021 में 18 देशों में 579 लोगों को मौत की सज़ा दी गई थी जबकि 2022 में 20 देशों द्वारा 883 लोगों को मृत्यु दंड देने की जानकारी है। 
एमनेस्टी ने कहा कि गोपनीयता और रोक की वजह से चीन, उत्तर कोरिया और वियतनाम जैसे कई देशों में मौत की सज़ा के इस्तेमाल का सटीक मूल्यांकन करने में बाधा जारी रही। समूह ने कहा कि 2022 में इंडोनेशिया में 112 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई जिसमें से 94 फीसदी मादक पदार्थ से जुड़े अपराधों के दोषी थे। उसने कहा कि ये अपराध जानबूझकर हत्या करने को लेकर नहीं है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बहुत गंभीर अपराधों के दायरे में नहीं आते हैं। एमनेस्टी ने कहा कि बांग्लादेश में कम से कम 169 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा है तथा इसके बाद भारत में 165 और पाकिस्तान में 127 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई है। उसने कहा कि पिछले साल मृत्यु दंड को खत्म करने वाले देशों की संख्या 112 पर पहुंच गई।