कन्याकुमारी । कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ केरल में प्रवेश कर चुकी है। 150 दिन की इस यात्रा में अनुशासन बनाए रखने के लिए बाकायदा यात्रियों के लिए ‘क्या करें’ और ‘क्या ना करें’ की हिदायतें और निर्देश जारी किए गए हैं। यात्रा की संयोजन समिति का मानना है कि गरिमा माहौल बनाए रखने के लिए अनुशासन का होना जरूरी है। इसे लेकर यात्रा से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया। यात्रा में हिस्सा लेने वालों के लिए कुछ नियम तैयार किए गए हैं, जिनका सख्ती से पालन करना सभी के लिए जरूरी है।
तय किया गया है कि यात्रा के दौरान सिर्फ शाकाहारी भोजन ही मिलेगा। इस दौरान शराब और स्मोकिंग जैसी चीजों से यात्रियों को दूर रहना होगा। उन्हें सादगीपूर्ण तरीके से ही रहना होगा। यात्रियों से कहा गया है कि इस दौरान वे खाने, बिस्तर की सुविधाओं सहित किसी भी चीज को लेकर कोई शिकायत और असंतोष जाहिर नहीं करेंगे। यात्रा में सफेद कपड़े ही पहनेंगे। हालांकि, कपड़ों का नियम भारत यात्रियों के साथ-साथ प्रदेश यात्रियों और अतिथि यात्रियों पर लागू होगा। यह वॉलंटियर्स यात्री पर लागू नहीं होगा। यात्रियों से अपेक्षा है कि वे यात्रा के दौरान किसी लग्जरी, सुख-सुविधाओं और विशेष आवभगत की अपेक्षा न करें। उनसे कहा गया है कि यात्रा के दौरान जो भी मिले, उससे विनम्रता, प्रेम और धैर्य से मिलना है। उनकी बात सुननी है। फीडबैक लेते समय इन चीजों का खास ख्याल रखना है।
पार्टी की ओर से इन नियम कायदों की फेहरिस्त इसलिए तैयार की गई है, ताकि अनुशासन बनाए रखने के साथ-साथ यात्रा को नकारात्मक पब्लिसिटी नहीं मिले। पार्टी नहीं चाहती कि यात्रा को लेकर बेवजह कोई विवाद हो। हालांकि, नियमों का कड़ाई से पालन भारत यात्रियों के लिए है। बाकी प्रदेश और अतिथि यात्री यात्रा के दौरान इनका पालन करेंगे। यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था जिस प्रदेश में यात्रा होती है, वहां की लोकल प्रदेश कमिटी करती है। भारत यात्रियों के ठहरने के लिए जहां कंटेनरों की व्यवस्था की गई है, तो अतिथि और प्रदेश यात्रियों के रहने-खाने की व्यवस्था प्रदेश कांग्रेस कमिटी देख रही है।
यात्रा में दिन में ब्रेक के दौरान चटाई और दरियों पर लोग बैठ कर आराम करते हैं। दिन की समाप्ति पर शाम को दिन भर के कार्यक्रम का फीडबैक लिया जाता है। फिलहाल शाम को किसी तरह के मनोरंजन वगैरह की व्यवस्था नहीं है। एक यात्री का कहना था कि हमारी सुबह साढ़े चार बजे होती है। छह बजे तक हमें नाश्ता कर पूरी तरह तैयार रहना होता है। भारत यात्रियों के लिए एक अलग किचन टीम है, जो खाना नाश्ता तैयार करती है। यह टीम साथ ही चल रही है। जिसमें कुक, शेफ, प्रबंधक और सुपरविज़न की टीम है। हर शाम एक बड़ा-सा पंडाल लगता है, जहां 400-500 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है। भोजन में स्थानीय व्यंजन भी होते हैं। यात्रा के काफिले में लगभग 250 लोगों का लॉजिस्टिक स्टाफ है, जो साफ-सफाई, हाउसकीपिंग, भोजन, लॉन्ड्री, जेनरेटर की व्यवस्था देखता है। ड्राइवर भी इसमें शामिल हैं। हर शाम दो एकड़ में नया गांव बसता है और सुबह समेट दिया जाता है। गांव को बसाने में पांच घंटे लगते हैं, वही उखाड़ने में लगभग ढाई घंटे।